Poetry_scape
Sunday, April 10, 2022
काश ऐसा होता....
Tuesday, February 16, 2021
पल...
ये पंक्तियाँ है कुछ दोस्तों के नाम ...
और उनसे जुड़े चंद पलों के नाम...
हर एक की ज़िन्दगी की आकृति बदलती रही...
अश्विनी की तरह वक्क्त की घडी बस चलती रही...
इस निखील संसार में हम नेहा की चाह लिए
अपने गौरव को हमेशा साथ में लिए..
अपने लक्ष्य की दीक्षा करते रहे...
उस बारिश की रिमझिम में भी....
खुद को निशान्त किये......हम बस आगे बढ़ते रहे ...
मुख से मुस्कान न छूटी कभी...
शगुन की घडी न बीती कभी...
सारिका की भांति हम उड़ते चले....
जीत की अंकिता मस्तक पर लिए...
साक्षी दी एक अच्छे सुमित की...
कदम कदम पर आश्चर्य हुए...
पर दुर्गेश का साथ न छूटा कभी...
दोस्ती की ये ज्योति हमेशा कायम रही..
जीवन की सौम्यता हमेशा बनी रही...
हम कही भी रहे....हम कही भी रुके...
ये साथ कभी न बिछडे कभी....ये हाथ कभी न छूटे कभी...
Thursday, January 7, 2021
बचपन
बचपन से लेके आजतक हम लड़ते रहे....
क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....
तीन साल के फासले कम करते रहे....
हर रोज़ लड़ते झगड़ते रहे....
घर को चिड़ियाघर बनाते रहे.........
किसी एक के कभी न होने पे कमी महसूस करते रहे....
क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...
तेरी ग़लती मेरी गलती गिनाते रहे...
एक दूसरे को मार से बचते भी रहे...
कुत्ता-कुत्ते भी साथ में हम करते रहे...
खेलते भी रहे ...लड़ते भी रहे.....
क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...
स्कूटी चलाने को हमेशा लड़ते रहे...
गिरने पे मरहम लगाते रहे....
एक दूसरे को नीचा दिखाते रहे ...
पर किसी और के कहने पर भिड़ते रहे...
क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....
रक्षा बंधन को भी हम पीछे छोड़ते रहे..
एक दूसरे से सीख लेते रहे...
भाई - बहन का प्यार ऐसे ही बढ़ता रहे....
यूँही हम साथ-साथ बढ़ते रहे...
यूँही हम साथ-साथ चलते रहे...
Thursday, August 27, 2020
सीख...
Wednesday, August 12, 2020
माँ...
Sunday, August 2, 2020
ये सफ़र है एक मासूम ज़िन्दगी का...
काश ऐसा होता....
काश ऐसा होता कि हम कभी बड़े ही न होते काश ऐसा होता कि स्कूल कभी खत्म ही न होता... काश ऐसा होता कि घर से कभी दूर होना ही न पड़ता काश ऐसा होत...
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ये सफ़र है,एक बेटी का.... ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का..... घर की इज़्ज़त कंधे पर लिए.. लोग क्या कहेंगे ध्यान रखने का... हर कदम पर संतोष रखकर....