Sunday, April 10, 2022

काश ऐसा होता....

काश ऐसा होता कि हम कभी बड़े ही न होते
काश ऐसा होता कि स्कूल कभी खत्म ही न होता... 
काश ऐसा होता कि घर से कभी दूर होना ही न पड़ता
काश ऐसा होता कि हर शहर मे एक अच्छा दोस्त होता... 
काश ऐसा होता कि करियर की टेंशन कभी होती ही नही
काश ऐसा होता कि लोग क्या कहेगे सुनना ही ना होता... 
काश ऐसा होता कि हर मर्ज़ की एक दवा होती
काश ऐसा होता कि तुम कभी मिले ही न होते... 
काश ऐसा होता कि हर एक में इंसानियत होती
काश ऐसा होता कि ये दुनिया मतलबी न होती... 
काश ऐसा होता कि हर रास्ते पर कोई साथ होता... 
काश ऐसा होता कि किसी का भय ना होता
काश ऐसा होता कि खुश रहना आसान होता
काश ऐसा होता कि जिंदगी जीना आसान होता.... 

Tuesday, February 16, 2021

पल...

 ये पंक्तियाँ है कुछ दोस्तों के नाम ...

और उनसे जुड़े चंद पलों के नाम...


हर एक की ज़िन्दगी की आकृति बदलती रही...

अश्विनी की तरह वक्क्त की घडी बस चलती रही...

इस निखील संसार में हम नेहा की चाह लिए 

अपने गौरव को हमेशा साथ में लिए..

अपने लक्ष्य की दीक्षा करते रहे...

उस बारिश की रिमझिम में भी....

खुद को निशान्त किये......हम बस आगे बढ़ते रहे ...

मुख से मुस्कान न छूटी कभी...

शगुन की घडी न बीती कभी...

सारिका की भांति हम उड़ते चले....

जीत की अंकिता मस्तक पर लिए...

साक्षी दी एक अच्छे सुमित की...

कदम कदम पर आश्चर्य हुए...

पर दुर्गेश का साथ न छूटा कभी...

दोस्ती की ये ज्योति हमेशा कायम रही..

जीवन की सौम्यता हमेशा बनी रही...

हम कही भी रहे....हम कही भी रुके...

ये साथ कभी न बिछडे कभी....ये हाथ कभी न छूटे कभी...

Thursday, January 7, 2021

बचपन

 बचपन से लेके आजतक हम लड़ते रहे....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....


तीन साल के फासले कम करते रहे....

हर रोज़ लड़ते झगड़ते रहे....

घर को चिड़ियाघर बनाते रहे.........

किसी एक के  कभी न होने पे कमी महसूस करते रहे....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...


तेरी ग़लती मेरी गलती गिनाते रहे...

एक दूसरे को मार से बचते भी रहे...

कुत्ता-कुत्ते भी साथ में हम करते रहे...

खेलते भी रहे ...लड़ते भी रहे.....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...


स्कूटी चलाने को हमेशा लड़ते रहे...

गिरने पे मरहम लगाते रहे....

एक दूसरे को नीचा दिखाते रहे ...

पर किसी और के कहने पर भिड़ते रहे...

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....


रक्षा बंधन को भी हम पीछे छोड़ते रहे..

एक दूसरे से सीख लेते  रहे...

भाई - बहन का प्यार ऐसे ही बढ़ता रहे....

यूँही हम साथ-साथ बढ़ते रहे...

 यूँही हम साथ-साथ चलते रहे...


Thursday, August 27, 2020

सीख...

जब कोई डांटें तो संभल जाना चाहिए ...
जब किसी को ज़रूरत हो, तो पिघल जाना चाहिए ...
जब किसी ने हाथ दिया,तो थाम लेना चाहिए...
जब कभी खुश हो,तो मुस्कुरा देना चाहिए...
जब कभी किनारा आये, तो पीछे हो जाना चाहिए ...
जब कभी बात रिश्तों पे आये, तो झुक जाना चाहिए ...
जब कभी उदास हो, तो बाँट लेना चाहिए...
जब किसी से नाराज़ हो,तो बोल देना चाहिए...
जब कभी थक जाओ, तो रुक जाना चाहिए.... 
जब कहीं गिर जाओ,तो हंसकर उठ जाना चाहिए...
जब कहीं प्रशंसा हो,तो गर्व करना चाहिए..
जब कहीं नीचा महसूस करो,तो शांत रहना चाहिए...
जब कहीं ठोकर पड़े,तो याद रखना चाहिए...
क्यूंकि....
ये ज़िन्दगी है साहब,इससे सीख लेनी चाहिए...

Wednesday, August 12, 2020

माँ...

जन्म से मृत्यु तक साथ देने वाली...
सबसे पहले अपना आँचल फ़ैलाने वाली...
हर गलत सही की पहचान कराने वाली...
इस संसार में सर्वप्रथम आगे रहने वाली......
हां वो मेरी माँ है...

मेरी हर छोटी बड़ी गलतियों पे समझाने वाली...
हर सुख दुःख में मेरा साथ देने वाली...
हर जीत पे खुश होने वाली......
और हार पर मनोबल बढाने वाली...
हां वो मेरी माँ है...

मुझे इस संसार में लाने वाली .....
अपने आँचल में छिपाए रखने वाली.   .
जरूरत पड़ने पे काली बनने वाली.....
ज़िन्दगी का सच सामने रखने वाली...
हां वो मेरी माँ ही है...

मेरे रुठ जाने पर मुझे मनाने वाली...
मेरे झूठ को मुख देखकर पहचानने वाली...
मुझे नए कल का आगाज़ करवाने वाली....
मुझे पल पल साथ होने का आभास कराने वाली....
हां वो सिर्फ मेरी माँ ही है....

टूटे दिल को फिर जोड़ने वाली...
हर ज़ख्म पे मरहम लगाने वाली.....
तिनके तिनके से घर बनाने वाली.......
तनिक से घाव पर घबरा जाने वाली....
है वो एक माँ ही है....

हर दुःख अपने ऊपर लेने वाली........
हर कष्ट बर्दाश्त करने वाली......
सबका पेट भरकर खाली पेट सोने वाली....
दिन के 24 घंटे काम करने वाली...
हां...ऐसी ही हमारी माँ है....

Sunday, August 2, 2020

ये सफ़र है एक मासूम ज़िन्दगी का...

ये सफ़र है,एक बेटी का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....

घर की इज़्ज़त कंधे पर लिए..
लोग क्या कहेंगे ध्यान रखने का...
हर कदम पर संतोष रखकर....
सबकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूँढने का....
जीवन की वास्तविकता जानकर...
लड़की हो हमेशा याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का...

समाज के कुछ राक्षसो से बचकर ..
घर की दीवारों में महफूज़ रहने का...
रात की रागिनी को अनदेखा कर...
दिन के उजाले में घूमने का....
कभी माँ की डांट पड़ने पर....
पापा की लाडली हूँ याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....

अपनी जन्म भूमि छोड़कर..
अंजानो की प्रतिष्ठा बनाए रखने का...
अपनी आकांक्षाएं भूल कर....
परिवार की ख्वाहिशें पूरी करने का....
माँ की ममता से दूर रहकर...
सास की सेवा करने का.....
गलती क्या है हमारी आखिर...
इस दुविधा में डूबे रहने का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का....

हर क्षेत्र में आगे रहकर....
खुद से अपनी पहचान बनाने का....
लड़की हूँ पर कमज़ोर नही...
समाज को यह अवगत कराने का...
अनेक कष्टों को समेटे हुए...
मुख पर मुस्कान बनाये रखने का...
ये सफ़र है,हम बेटियों का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का...

काश ऐसा होता....

काश ऐसा होता कि हम कभी बड़े ही न होते काश ऐसा होता कि स्कूल कभी खत्म ही न होता...  काश ऐसा होता कि घर से कभी दूर होना ही न पड़ता काश ऐसा होत...