Thursday, January 7, 2021

बचपन

 बचपन से लेके आजतक हम लड़ते रहे....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....


तीन साल के फासले कम करते रहे....

हर रोज़ लड़ते झगड़ते रहे....

घर को चिड़ियाघर बनाते रहे.........

किसी एक के  कभी न होने पे कमी महसूस करते रहे....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...


तेरी ग़लती मेरी गलती गिनाते रहे...

एक दूसरे को मार से बचते भी रहे...

कुत्ता-कुत्ते भी साथ में हम करते रहे...

खेलते भी रहे ...लड़ते भी रहे.....

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे...


स्कूटी चलाने को हमेशा लड़ते रहे...

गिरने पे मरहम लगाते रहे....

एक दूसरे को नीचा दिखाते रहे ...

पर किसी और के कहने पर भिड़ते रहे...

क्यूंकि हम साथ साथ बढ़ते रहे....


रक्षा बंधन को भी हम पीछे छोड़ते रहे..

एक दूसरे से सीख लेते  रहे...

भाई - बहन का प्यार ऐसे ही बढ़ता रहे....

यूँही हम साथ-साथ बढ़ते रहे...

 यूँही हम साथ-साथ चलते रहे...


No comments:

Post a Comment

काश ऐसा होता....

काश ऐसा होता कि हम कभी बड़े ही न होते काश ऐसा होता कि स्कूल कभी खत्म ही न होता...  काश ऐसा होता कि घर से कभी दूर होना ही न पड़ता काश ऐसा होत...