Sunday, August 2, 2020

ये सफ़र है एक मासूम ज़िन्दगी का...

ये सफ़र है,एक बेटी का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....

घर की इज़्ज़त कंधे पर लिए..
लोग क्या कहेंगे ध्यान रखने का...
हर कदम पर संतोष रखकर....
सबकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूँढने का....
जीवन की वास्तविकता जानकर...
लड़की हो हमेशा याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का...

समाज के कुछ राक्षसो से बचकर ..
घर की दीवारों में महफूज़ रहने का...
रात की रागिनी को अनदेखा कर...
दिन के उजाले में घूमने का....
कभी माँ की डांट पड़ने पर....
पापा की लाडली हूँ याद रखने का.....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का.....

अपनी जन्म भूमि छोड़कर..
अंजानो की प्रतिष्ठा बनाए रखने का...
अपनी आकांक्षाएं भूल कर....
परिवार की ख्वाहिशें पूरी करने का....
माँ की ममता से दूर रहकर...
सास की सेवा करने का.....
गलती क्या है हमारी आखिर...
इस दुविधा में डूबे रहने का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का....

हर क्षेत्र में आगे रहकर....
खुद से अपनी पहचान बनाने का....
लड़की हूँ पर कमज़ोर नही...
समाज को यह अवगत कराने का...
अनेक कष्टों को समेटे हुए...
मुख पर मुस्कान बनाये रखने का...
ये सफ़र है,हम बेटियों का....
ये सफ़र है,एक मासूम ज़िन्दगी का...

4 comments:

  1. Very nice😍😍🔥

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  2. Heart touching lines....❣️❣️❣️

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  3. अलग_हो_तुम..

    हर बार हर समय
    एक अलग इंसान ही
    पाता रहा हूँ तुम में
    और ये सच है बहुत,

    तुम्हारे चेहरे से झाँकती
    गहरी दोनों आँखों से
    तुम एकदम अलग
    बहुत अलग नज़र आती हो,

    जब कभी छोड़ देती हो
    अपने बालों को यूँ ही
    ख़ूबसूरत शाम के सी
    मंज़र सी नज़र आती हो,

    खिलखिलाती हो ज़ोर से
    बहुत ज़ोर से हँसा करती हो
    असहज हो जाता हूँ कि
    जाने क्या सूझी हो शरारत अब,

    बात-बात में बेबाक़ी और
    ख़ामोशी में भी एक नया पहलू
    पहेली सी लगती हो जैसे
    कि सुलझती नहीं मुझसे तो,

    न दुनिया की सुनती हो कभी
    और न ही ख़ुद की कभी
    अजीब सी मनमर्ज़ी और
    पागलपन से भरी फिरती हो,

    पूछो कुछ तो सहम जाती हो
    न पूछो तो उकसाती हो
    न जाने कितने ही तरह के
    भावों को कैसे-कैसे नचाती हो,

    बारिशों में नहाती हो
    धूप में घूमने निकल जाती हो
    ख़ूबसूरती के मायनों में भी
    रूप को अहमियत नहीं देतीं,

    कितनी कम होती होंगी
    स्त्रियाँ जो ऐसी हों जहां में
    जो सोचती अलग हों और
    सब कुछ निराला ही करती हों,

    गुज़रती हो जहाँ से वहाँ
    भर देती हो सब सौरभ से
    जैसे सब खिल उठता हो
    और नया हो उठता हो ऐसे,

    तुम्हें न आगे रहने की ख़ुशी
    न पीछे रहने का ग़म ही है
    ग़मों से भिड़ जाती हो
    और ख़ुशी को जी जाती हो,

    ज़िंदगी जीती हो ऐसे मानो
    बस कल ही आख़िरी हो सब
    सिखा देती हो अपनों को
    जीने का तरीक़ा जो सही भी है,

    तुम्हारे जैसी स्त्रियाँ और हों
    तो सच में कमाल की बात हो
    दुनिया और ख़ूबसूरत होगी
    ये जहां और भी प्यारा होगा,

    सोचता हूँ तुमसे सीख लूँ
    ज़िंदगी की ताल में नाचना
    गा लेना प्रेम को दिल से अपने
    और जी लेना ज़िंदगी दिल से अपने,

    तुमसे न लड़ना आसान है
    और न ही तुम्हारे इश्क़ में होना
    तुम्हारे साथ पागल होना पड़ता है
    और डूब जाना पड़ता है उसी में,

    सीख चला हूँ वो मस्तीखोर होना
    पागलपन की कलाएँ सारी
    मुस्कुराना और ख़ुशियों को जीना
    कभी-कभी बेवजह हँसना भी,

    तुम्हारे इश्क़ में पड़ना आसान है
    बस बने रहना कितना मुश्किल
    उतना ही पागल होना मुश्किल है
    कि वो तो सिर्फ़ तुम ही हो सकती हो,

    पर जो भी है सही है जैसे सब
    तुम हो ये अच्छा है सब को
    तुमसे ज़िंदादिली सीखना
    और तुमसे मुस्कुराना भी हमेशा,

    रहो यूँ ही सबको सिखाती रहो
    दुनिया को ऐसी ही चाहियें स्त्रियाँ
    बहुत सारी ढेर सारी हों जो
    बदल देने को रिवायतें सारी,

    हर रूप अलग है प्यारा है
    ख़ूबसूरत किसी दुआ सी हो
    क़ुबूल होकर उतरी हो ज़मीं पे
    कि सिखा सको ज़िंदगी सबको. ❤️

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